Minister and Spiritual Guru of Vedanta Society of New York Visit Parmarth

Pujya Swami Sarvapriyanandaji, the Minister and spiritual guru of the Vedanta Society of New York, visited Parmarth Niketan, engaging in profound discussions with Pujya Swami Chidanand Saraswatiji and Pujya Sadhvi Bhagawati Saraswati Ji on Vedanta, Advaita, Bhagavad Gita, and their essence in connecting with youth.

Pujya Swamiji emphasized the message of investing in a spiritual lifestyle, highlighting the significance of various forms of yoga. He stressed the importance of spiritual investment in today’s world, promoting harmony, mutual respect, and understanding for building a peaceful society.


परमार्थ निकेतन में न्यूयाॅर्क की वेदान्त सोसायटी के मंत्री व आध्यात्मिक गुरू स्वामी सर्वप्रियानन्द जी परमार्थ निकेतन पधारे। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती जी से स्वामी सर्वप्रियानन्द जी की आत्मिक भेंटवार्ता हुई।

पूज्य संतों ने आध्यात्मिक पिलर जो चार प्रकार के योग हैं -कर्म योग, भक्ति योग, ज्ञान योग और राज योग के वास्तविक स्वरूप से युवाओं को जोड़ने और इस दिव्य ज्ञान को आज के परिपेक्ष्य में उन तक पहुंचाने पर विशद् चर्चा की। कर्म योग अर्थात् निःस्वार्थ कर्म जो वैराग्य का मार्ग दिखाता हो, भक्ति योग जो हमारा व्यक्तिगत सिद्धान्त है, ज्ञान योग अर्थात् आत्मनिरिक्षण व चिंतन तथा राज योग, जिसमें अष्टांग योग के अन्तर्गत शारीरिक आसन, व्यायाम, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से आत्मा का परमात्मा के साथ मिलन का संदेश समाहित है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वर्तमान समय में आध्यात्मिक जीवन शैली में इन्वेस्ट करना सबसे जरूरी है क्योंकि यही भावी पीढ़ियों को सबसे अधिक लाभ देने वाला है। स्वामी जी कहा कि अद्वैत सिंद्धान्त सामंजस्य, सद्भाव, आपसी सम्मान, सहिष्णुता और समझ को बढ़ावा देने के साथ शांतिपूर्ण व करूणायुक्त दुनिया के निर्माण का संदेश देता है जिसकी आज नितांत आवश्यकता है। हम जो भी कर रहे हैं उसे परमात्मा को साक्षी रख कर करे तो जीवन में न तो तनाव होगा और न ही मन में किसी को प्रति द्वेष होगा।

आज अन्तर्राष्ट्रीय सूर्य दिवस के अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि सूर्य है तो धरती है, धरती का अस्तित्व है और हम व हमारी प्रकृति है। सूर्य, ऊर्जा का शक्तिशाली स्रोत है जो पृथ्वी पर जीवन को सम्भव बनाता है और सार्वभौमिक रूप से सर्व सुलभ, नवीकरणीय और स्वच्छ ऊर्जा स्रोत्र के रूप में ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत्र है। वहीं दूसरी ओर सौर ऊर्जा का उपयोग कर हम अपनी प्रकृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते है। सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु ही आज का दिन समर्पित है।

स्वामी सर्वप्रियानंद जी ने व्यावहारिक वेदांत के विषय में चर्चा करते हुये कहा कि निःस्वार्थ कर्म अर्थात् परिणामों के प्रति लगाव के बिना अपने कर्तव्यों को करते रहने पर जोर देता है। उन्होंने कहा कि व्यावहारिक वेदांत भगवद गीता की शिक्षाओं पर आधारित है और इसे ध्यान, प्रार्थना और समाज सेवा के रूप में दैनिक जीवन में ला सकते हंै।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि हमारे शास्त्रों में भक्तियोग का उत्कृष्ट स्वरूप महर्षि नारद, मीरा बाई, राधा जी ऐसे अनेक उदाहरण है जिन्होंने स्वयं को अपने प्रभु को समर्पित कर दिया क्योंकि समर्पण के बाद जीवन में कुछ भी नहीं बचता। आज पूरी दुनिया को ऐसे समर्पित विभूतियों की जरूरत है क्योंकि इसी माध्यम से हम अपनी पृथ्वी, प्रकृति, संस्कृति व संतति को सुरक्षित रख सकते हैं।

स्वामी सर्वप्रियानंद जी 2017 से न्यूयॉर्क की वेदांत सोसाइटी के मंत्री हैं तथा वैश्विक स्तर पर वेदांत, अद्वैत, भगवतगीता का दिव्य संदेश प्रदान कर रहे हैं। वेदांत सोसाइटी ऑफ न्यूयॉर्क, रामकृष्ण ऑर्डर ऑफ इंडिया से संबद्ध है। वास्तव में, यह 1894 में स्वामी विवेकानन्द जी द्वारा शुरू किया गया संस्था का पहला केंद्र है।

आज अन्तर्राष्ट्रीय सूर्य दिवस के अवसर पर स्वामी जी ने सौर ऊर्जा के अधिक से अधिक उपयोग का संदेश दिया।